उरई जालौन- महाकवि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की उक्त पंक्तियां मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय के विदायी समारोह पर चरितार्थ होतीं हैं। बुन्देलखण्ड के पुनर्जागरण के प्रणेता कहे जाने वाले मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय की सेवानिवृत्ति के अवसर पर बुन्देली कलाकारों ने बुन्देली सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के द्वारा उन्हें भव्य व भावभीनी विदायी दी। मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय ने इस अवसर पर बताया कि सेवानिवृत्ति एक नकारात्मक शब्द है। कोई भी मनुष्य अपने कार्यों से कभी भी निवृत्त नहीं होता है बल्कि वह एक नये कार्य के लिए एक नयी ऊर्जा के साथ प्रवृत्त हो जाता है। अतः इस अवसर को सेवानिवृत्ति के स्थान पर नव सेवा प्रवृत्ति कहा जाना चाहिए। आज आयुक्त आवास पर सर्वजन प्रिय, सहज व उदारवादी व्यक्तित्व के धनी मण्डलायुक्त का विदायी समारोह मनाने के लिए उनके द्वारा गठित 08 समितियों में एक बुन्देली कला एवं संस्कृति समिति के द्वारा बुन्देली सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों की तैयारियाँ प्रातःकाल से ही प्रारम्भ हो गईं। जिनमें राई, ढिमरिया इत्यादि नृत्यों की शानदार प्रस्तुति देने के लिए 07 दलों ने अपनी कला के प्रदर्शन से मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय एवं उपस्थित अन्य गणमान्य अतिथियों का मन मोह लिया। तत्पश्चात विभिन्न अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तथा उपस्थित समस्त लोगों ने मण्डलायुक्त का माल्यार्पण एवं बुके भेंट कर सम्मान किया। जिलाधिकारी, झाँसी रविन्द्र कुमार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवहरि मीणा ने इस कार्यक्रम में आकर मण्डलायुक्त के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें भावपूर्ण विदायी दी व उनके द्वारा किये गये कार्यों को पे्ररणादायक व अनुकरणीय बताया। मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय ने उपस्थित समस्त अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुए समाज के उत्थान के लिये कार्य करते रहने की पे्ररणा दी।
राज्य मंत्री श्रम एवं सेवायोजन विभाग मनोहर लाल पंथ ने अपने प्रोटोकाॅल को तोड़कर मण्डलायुक्त आवास में आकर डाॅ अजय शंकर पाण्डेय का माल्यार्पण कर उनका स्वागत कर उनके भविष्य के लिए स्वास्थ्य, सुकीर्ति व यश की कामना करते हुए उनके सम्मान में एक सम्मान-पत्र का वाचन किया एवं श्रीफल व अंगवस्त्र भेंट कर उनके अविस्मरणीय कार्यकाल की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक समिति के संयोजन आर एन शुक्ला ने अपने उद्बोधन यह कहा कि मण्डलायुक्त की इस अभिनव सोच का अनुसरण अन्य अधिकारियों को भी करना चाहिए।
डाॅ नीति शास्त्री ने कहा कि वह सन् 1962 से मण्डलायुक्त कार्यालय के सम्पर्क में रहीं है किन्तु अभी तक मण्डल में डाॅ अजय शंकर पाण्डेय जैसी वृहद सोच रखने वाले आयुक्त नहीं आये है। मण्डलायुक्त डाॅ अजय शंकर पाण्डेय का लोगों के साथ गहरा जुड़ाव था। कोई भी बड़ी सुगमता से मण्डलायुक्त से उनके कार्यालय पर मिलकर अपनी समस्याओं का सकारात्मक व उचित समाधान प्राप्त कर सकता था। उनकी इसी सहजता के परिणामस्वरूप उनके विदायी समारोह में आम जनमानस का सैलाब उमड़ पड़ा तथा उनके विदायी की जानकारी प्राप्त होने पर उनका सम्मान करने के लिए बिना बुलाये ही सैंकड़ो लोगों ने उनके आवास पर आकर भारी मन से उन्हें विदायी दी।
साहित्य, कला एवं संस्कृति समितियों में सक्रियता के साथ काम करने वाले वरिष्ठ कवि, लोकभूषण पन्ना लाल असर ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि मण्डलायुक्त ने बिसरी हुयी बुन्देली कलाओं को नवजाग्रति व पहचान प्रदान की है। उनके जाने के पश्चात शासन-प्रशासन को भी इस परम्परा को आगे ले जाना चाहिए व बुन्देली धरोहरों का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार होना चाहिए।
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